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TRAI का बड़ा फैसला! जल्द बंद होंगे 10 अंकों वाले मोबाइल नंबर, जानें क्या होगा नया सिस्टम TRAI New Rules

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TRAI New Rules – अगर आप भी मोबाइल नंबर से जुड़ी खबरों पर नजर रखते हैं, तो TRAI (भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण) की नई गाइडलाइंस आपके लिए बेहद अहम हैं। हाल ही में TRAI ने टेलीकॉम सेक्टर के लिए कुछ नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं, जिनका मकसद नंबरिंग संसाधनों (यानी मोबाइल और टेलीफोन नंबरों) का सही इस्तेमाल और बेहतरीन प्रबंधन करना है।

इन बदलावों से आम उपभोक्ताओं से लेकर टेलीकॉम कंपनियों तक, सभी पर असर पड़ेगा। खासकर अगर आप नए नंबर लेने की सोच रहे हैं या पहले से किसी नंबर का इस्तेमाल कर रहे हैं, तो आपको पता होना चाहिए कि आने वाले समय में क्या बदलाव होने वाले हैं। तो चलिए, बिना किसी जटिल भाषा के, सीधा मुद्दे पर बात करते हैं और जानते हैं कि TRAI ने क्या बदलाव किए हैं और उनका क्या मतलब है।

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नंबरिंग संसाधनों के लिए अतिरिक्त शुल्क खत्म

सबसे पहला और बड़ा फैसला यह है कि टेलीकॉम कंपनियां नंबरिंग संसाधनों के लिए कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं वसूलेंगी। मतलब, ग्राहकों को नए नंबर लेने या मौजूदा नंबर को बनाए रखने के लिए ज्यादा पैसे नहीं देने होंगे।

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TRAI चाहता है कि मोबाइल और टेलीफोन नंबरों का इस्तेमाल कुशलता से हो, इसलिए यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि कंपनियां इस पर कोई अलग से चार्ज न लगाएं।

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निष्क्रिय नंबर होंगे वापस लिए जाएंगे

क्या आपके पास कोई पुराना मोबाइल नंबर है जो आप लंबे समय से इस्तेमाल नहीं कर रहे? अगर हां, तो हो सकता है कि वह नंबर जल्द ही डीएक्टिवेट कर दिया जाए। TRAI ने यह साफ कर दिया है कि जो नंबर 365 दिनों तक उपयोग में नहीं आते, उन्हें टेलीकॉम कंपनियां वापस ले सकती हैं और किसी और को दे सकती हैं।

  • अगर किसी नंबर का 90 दिनों तक भी इस्तेमाल नहीं होता, तो कंपनियां उसे निष्क्रिय नहीं कर सकतीं।
  • लेकिन अगर 365 दिन तक नंबर एक्टिव नहीं रहता, तो वह स्वचालित रूप से डीएक्टिवेट हो जाएगा।

इसका सीधा मतलब यह है कि अगर आप अपने पुराने नंबर को बचाना चाहते हैं, तो समय-समय पर उस पर कॉल या मैसेज जरूर करें।

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नए 10-अंकीय नंबरिंग सिस्टम की योजना

अभी तक फोन नंबरों का आवंटन एक खास क्षेत्र के हिसाब से किया जाता था, जिसे शॉर्ट डिस्टेंस चार्जिंग एरिया (SDCA) कहा जाता था। अब TRAI इसे बदलकर लाइसेंस सर्विस एरिया (LSA) आधारित नंबरिंग सिस्टम लाने की योजना बना रहा है।

इस बदलाव से क्या होगा?

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  • पहले जो नंबरिंग संसाधन कुछ खास क्षेत्रों में उपयोग के लिए सीमित थे, वे अब पूरे देश में इस्तेमाल किए जा सकेंगे।
  • इससे नए नंबरों की उपलब्धता बढ़ जाएगी और कंपनियों को ज्यादा विकल्प मिलेंगे।

STD कॉलिंग पैटर्न में बदलाव

अगर आप लैंडलाइन फोन से कॉल करते हैं, तो आपके लिए एक छोटा लेकिन अहम बदलाव आने वाला है। TRAI ने सुझाव दिया है कि अब सभी फिक्स्ड-लाइन कॉल को “0” उपसर्ग (Prefix) के साथ डायल करना जरूरी होगा।

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उदाहरण के लिए, अगर पहले आप किसी शहर से दूसरे शहर में लैंडलाइन पर कॉल करने के लिए सीधे नंबर डायल करते थे, तो अब आपको पहले “0” लगाना होगा, फिर STD कोड डालना होगा और उसके बाद नंबर डायल करना होगा।

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हालांकि, मोबाइल से मोबाइल, मोबाइल से फिक्स्ड और फिक्स्ड से मोबाइल कॉलिंग पैटर्न में कोई बदलाव नहीं होगा।

कॉल करने वाले का नाम दिखाने वाली तकनीक (CNAP)

कई बार हम अनजान नंबर से कॉल आने पर परेशान हो जाते हैं। ऐसे में स्पैम और फ्रॉड कॉल की समस्या भी बढ़ जाती है। इसे रोकने के लिए TRAI ने CNAP (Calling Name Presentation) सिस्टम को जल्द लागू करने की सिफारिश की है।

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इसका फायदा यह होगा कि जब भी कोई अनजान नंबर से कॉल आएगा, तो आपकी स्क्रीन पर कॉल करने वाले व्यक्ति या संस्था का नाम दिखेगा। इससे:

  • फर्जी और धोखाधड़ी वाली कॉल्स पर लगाम लगेगी।
  • लोगों को पता रहेगा कि उन्हें कौन कॉल कर रहा है, जिससे स्पैम कॉल को नजरअंदाज करना आसान होगा।

M2M डिवाइसेज के लिए 13-अंकीय नंबर

अगर आप स्मार्ट डिवाइसेज जैसे स्मार्ट मीटर, जीपीएस ट्रैकिंग डिवाइस, या अन्य IoT (इंटरनेट ऑफ थिंग्स) डिवाइसेज का इस्तेमाल करते हैं, तो आपके लिए एक नया बदलाव आने वाला है। TRAI ने प्रस्ताव दिया है कि अब M2M (Machine-to-Machine) कनेक्शन के लिए 10 अंकों के बजाय 13-अंकीय नंबर दिए जाएं।

इससे फायदा यह होगा कि टेलीकॉम नेटवर्क पर नंबरिंग संसाधनों का बेहतर उपयोग हो सकेगा और भविष्य में M2M कनेक्शन की बढ़ती मांग को पूरा किया जा सकेगा।

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शॉर्टकोड का प्रभावी उपयोग

हम सभी ने कभी न कभी 100 (पुलिस), 101 (अग्निशमन) या 108 (एम्बुलेंस) जैसे शॉर्टकोड्स का इस्तेमाल किया होगा। TRAI चाहता है कि ऐसे इमरजेंसी शॉर्टकोड्स को सिर्फ सरकारी एजेंसियों के लिए रिजर्व किया जाए और इन्हें मुफ्त में आवंटित किया जाए।

साथ ही, इन शॉर्टकोड्स की निगरानी और प्रबंधन के लिए DoT (दूरसंचार विभाग) को हर साल ऑडिट करने का सुझाव दिया गया है, जिससे अनावश्यक या बेकार पड़े शॉर्टकोड्स को फिर से आवंटित किया जा सके।

TRAI के ये नए दिशा-निर्देश भारत के टेलीकॉम सेक्टर को ज्यादा कुशल और पारदर्शी बनाने की दिशा में एक अहम कदम हैं। इन बदलावों से:

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  • नंबरिंग संसाधनों का बेहतर उपयोग होगा।
  • उपभोक्ताओं को बेहतरीन सेवाएं मिलेंगी।
  • टेलीकॉम कंपनियों को नए नंबर आवंटन में आसानी होगी।

आने वाले दिनों में अगर ये सिफारिशें लागू होती हैं, तो भारतीय दूरसंचार उद्योग और भी प्रभावी और प्रतिस्पर्धात्मक बन जाएगा, जिससे उपभोक्ताओं को भी सीधा फायदा मिलेगा। इसलिए अगर आप मोबाइल नंबर या लैंडलाइन का इस्तेमाल करते हैं, तो इन बदलावों को समझना आपके लिए जरूरी है।

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