RBI Rules For Bank – अगर आपका पैसा न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक में जमा है, तो आपको यह खबर जरूर पढ़नी चाहिए। यह बैंक फिलहाल भारी वित्तीय संकट में फंस गया है और RBI ने इस पर सख्त पाबंदियां लगा दी हैं। सवाल ये उठता है कि ग्राहकों के जमा पैसे का क्या होगा और बैंक की यह हालत क्यों हुई। चलिए, आसान भाषा में समझते हैं इस पूरी स्थिति को।
बैंक क्यों डूबने की कगार पर है
न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक पिछले दो साल से घाटे में चल रहा है। मार्च 2024 के आंकड़ों के अनुसार, बैंक की कुल जमा राशि 2436.38 करोड़ रुपए थी, जबकि इसकी लोन बुक 1174.85 करोड़ रुपए की थी। यानी, बैंक ने जितना कर्ज दिया, उससे दोगुना पैसा ग्राहकों ने बैंक में जमा कर रखा था।
अब असली दिक्कत यह है कि बैंक के कुल कर्ज में से तीन-चौथाई हिस्सा रियल एस्टेट सेक्टर में फंसा हुआ है। मतलब, बैंक ने अपने ज्यादातर लोन प्रॉपर्टी से जुड़े प्रोजेक्ट्स में लगाए, जहां जोखिम बहुत ज्यादा होता है। अगर ये प्रोजेक्ट नहीं चलते, तो बैंक को पैसा वापस नहीं मिलता और उसकी हालत खराब हो जाती है।
रियल एस्टेट में फंसा पैसा
2020 में बैंक का रियल एस्टेट में निवेश सिर्फ 11.4% था, लेकिन 2024 तक यह बढ़कर 35.6% हो गया। इसका मतलब है कि बैंक ने एक ही सेक्टर पर बहुत ज्यादा भरोसा कर लिया और अपना पैसा ज्यादा जोखिम वाले प्रोजेक्ट्स में लगा दिया।
मार्च 2024 तक बैंक का कुल रियल एस्टेट एक्सपोजर 418.34 करोड़ रुपए था, जो बहुत ज्यादा है। जब बाजार में मंदी आई और प्रॉपर्टी की कीमतें गिरीं, तो बैंक के कर्जदार पैसे लौटाने में असफल हो गए, जिससे बैंक का NPA (नॉन-परफॉर्मिंग एसेट्स) बढ़कर 7.96% हो गया।
सीधे शब्दों में कहें तो बैंक ने जिन लोगों को लोन दिया था, वे पैसा वापस नहीं कर पाए और यह रकम डूबने लगी। यही वजह है कि बैंक के हालात बिगड़ गए।
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RBI ने क्यों लगाया बैन
बैंक की बिगड़ती हालत को देखते हुए RBI ने सख्त कदम उठाए और बैंक पर कुछ सख्त पाबंदियां लगा दीं। अब बैंक:
- ग्राहकों को पैसे निकालने नहीं देगा
- नए लोन नहीं दे सकता
- नई जमा राशि स्वीकार नहीं कर सकता
ये पाबंदियां फिलहाल छह महीने तक लागू रहेंगी, लेकिन अगर बैंक की स्थिति नहीं सुधरी, तो यह समय और बढ़ सकता है।
ग्राहकों के पैसों का क्या होगा
अब सवाल उठता है कि बैंक में जमा ग्राहकों के पैसे का क्या होगा। तो घबराने की जरूरत नहीं है। RBI के नियमों के तहत, DICGC (डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन) हर जमाकर्ता के 5 लाख रुपए तक की जमा राशि की गारंटी देता है।
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मतलब, अगर बैंक पूरी तरह से डूब भी जाए, तो हर ग्राहक को 5 लाख रुपए तक की राशि वापस मिल जाएगी। लेकिन जिनका पैसा 5 लाख से ज्यादा जमा है, उनके लिए मुश्किल बढ़ सकती है, क्योंकि उन्हें पूरी रकम वापस मिलेगी या नहीं, इसका कोई ठोस आश्वासन नहीं है।
सहकारी बैंकों के लिए चेतावनी
न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक का संकट सिर्फ इसी बैंक तक सीमित नहीं है, बल्कि यह बाकी सहकारी बैंकों के लिए भी एक बड़ा सबक है।
सहकारी बैंक अक्सर छोटे स्तर पर काम करते हैं और इनका मैनेजमेंट उतना मजबूत नहीं होता जितना बड़े बैंकों का। अगर इनमें गड़बड़ी होती है, तो ग्राहकों के पैसे पर सीधा असर पड़ता है। यही कारण है कि RBI समय-समय पर सहकारी बैंकों की निगरानी करता है और जरूरत पड़ने पर उन पर प्रतिबंध लगाता है।
अगर सहकारी बैंक अपनी लोन पॉलिसी को सही तरीके से नहीं संभालते, तो उनके डूबने का खतरा बना रहता है।
जमाकर्ताओं को क्या करना चाहिए
अगर आपका पैसा किसी सहकारी बैंक में जमा है, तो कुछ सावधानियां बरतनी जरूरी हैं:
- बैंक की वित्तीय स्थिति की जांच करें – हमेशा उस बैंक में पैसा जमा करें, जिसकी बैलेंस शीट मजबूत हो और जिसका NPA ज्यादा न हो।
- DICGC कवरेज को समझें – ध्यान रखें कि सिर्फ 5 लाख तक की जमा राशि सुरक्षित होती है।
- सिर्फ एक बैंक पर निर्भर न रहें – अपने पैसों को एक ही बैंक में रखने की बजाय अलग-अलग बैंकों में बांटें, ताकि जोखिम कम हो।
- बड़े बैंकों को प्राथमिकता दें – सरकारी और बड़े प्राइवेट बैंकों में पैसा रखना ज्यादा सुरक्षित रहता है।
न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक की मौजूदा स्थिति एक बड़ा अलार्म है, खासकर उन लोगों के लिए जो सहकारी बैंकों में पैसा जमा करते हैं। बैंकिंग सेक्टर में स्थिरता बनाए रखने के लिए जरूरी है कि बैंक अपनी जोखिम भरी रणनीतियों को छोड़ें और मजबूत वित्तीय प्रबंधन अपनाएं।
RBI ने जो कदम उठाए हैं, वे ग्राहकों के हित में हैं और बैंकिंग सिस्टम को मजबूत बनाए रखने के लिए जरूरी भी हैं। लेकिन जमाकर्ताओं को भी सतर्क रहने और अपने पैसों को समझदारी से निवेश करने की जरूरत है।