OPS Latest News – यहां सरकारी कर्मचारियों के लिए एक अच्छी खबर है। पुरानी पेंशन योजना यानी OPS को लेकर लंबे समय से बहस चल रही थी, और अब ऐसा लग रहा है कि इस मुद्दे पर कोई बड़ा फैसला लिया जा सकता है। हाल ही में, कर्मचारियों ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी को ज्ञापन सौंपा, जिसमें उन्होंने OPS को फिर से लागू करने की मांग की। कर्मचारियों का कहना है कि उन्हें NPS यानी नेशनल पेंशन सिस्टम से ज्यादा भरोसा पुरानी पेंशन योजना पर है, क्योंकि यह उनके रिटायरमेंट के बाद आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित करती है।
पुरानी पेंशन योजना क्यों जरूरी है?
OPS के तहत सरकारी कर्मचारियों को उनकी अंतिम सैलरी का 50 प्रतिशत पेंशन के रूप में मिलता है, और इसमें उन्हें कोई योगदान नहीं देना पड़ता। इसका मतलब यह है कि जब कोई कर्मचारी रिटायर होता है, तो उसे एक निश्चित राशि मिलती रहती है, जिससे उसका भविष्य सुरक्षित रहता है।
वहीं, NPS में कर्मचारियों को अपनी सैलरी का 10 प्रतिशत योगदान देना पड़ता है, और यह शेयर बाजार से जुड़ा होता है, जिससे इसमें जोखिम बढ़ जाता है। कर्मचारियों का कहना है कि वे इस अनिश्चितता के बजाय एक स्थिर पेंशन योजना चाहते हैं, जिससे उन्हें जीवनभर एक निश्चित इनकम मिलती रहे।
राजनीतिक हलचल और OPS की वापसी
OPS को लेकर राजनीति भी तेज हो गई है। कई राजनीतिक दल इसे चुनावी मुद्दा बना रहे हैं और खुलकर इसका समर्थन कर रहे हैं। कुछ राज्य सरकारों ने तो पहले ही OPS को बहाल कर दिया है, जिससे केंद्र सरकार पर भी इसे लागू करने का दबाव बढ़ गया है।
सरकार भी इस मुद्दे पर पूरी तरह चुप नहीं बैठी है। हाल ही में, सरकार ने यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) की घोषणा की है, जिसे OPS और NPS के बीच एक बैलेंस्ड विकल्प बताया जा रहा है।
यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) क्या है?
UPS सरकार द्वारा प्रस्तावित एक नई पेंशन योजना है, जिसमें कर्मचारी को अपनी सैलरी का 10 प्रतिशत योगदान देना होगा, जबकि सरकार इसमें 18.5 प्रतिशत योगदान देगी। इसके अलावा, पेंशन की राशि कर्मचारी की अंतिम 12 महीने की औसत सैलरी के आधार पर तय की जाएगी।
हालांकि, कर्मचारियों को यह स्कीम ज्यादा पसंद नहीं आई है। उनका कहना है कि इस योजना में उन्हें अपनी सैलरी का हिस्सा देना होगा, जबकि OPS पूरी तरह से सरकारी फंडिंग पर आधारित थी। यही वजह है कि कर्मचारी अभी भी पुरानी पेंशन योजना की बहाली की मांग कर रहे हैं।
OPS बनाम NPS: कौन सा बेहतर?
OPS और NPS के बीच कई बड़े अंतर हैं।
योगदान का अंतर:
- OPS में कर्मचारियों को अपनी सैलरी से कोई राशि नहीं देनी पड़ती थी।
- NPS में कर्मचारियों को अपनी सैलरी का 10 प्रतिशत योगदान देना होता है।
पेंशन की गारंटी:
- OPS के तहत मिलने वाली पेंशन राशि तय होती थी और हर साल महंगाई भत्ते के हिसाब से इसमें बढ़ोतरी होती थी।
- NPS की पेंशन राशि शेयर बाजार पर निर्भर करती है, जिससे यह स्थिर नहीं रहती।
परिवार को फायदा:
- OPS में यदि कर्मचारी की मृत्यु हो जाती थी, तो उसके परिवार को पूरी पेंशन मिलती थी।
- NPS में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है, जिससे परिवार को आर्थिक दिक्कत हो सकती है।
सरकार पर बढ़ता दबाव
सरकार के लिए OPS को फिर से लागू करना आसान फैसला नहीं है, क्योंकि इससे सरकारी खजाने पर बड़ा असर पड़ेगा। लेकिन कर्मचारियों की लगातार बढ़ती मांग और कुछ राज्यों में OPS लागू होने के बाद केंद्र सरकार पर भी इसे बहाल करने का दबाव बढ़ रहा है।
फिलहाल, UPS की घोषणा सरकार की तरफ से एक कदम जरूर है, लेकिन यह कर्मचारियों को पूरी तरह संतुष्ट नहीं कर पाई है। कर्मचारी संगठनों का कहना है कि वे तब तक लड़ाई जारी रखेंगे, जब तक OPS को फिर से लागू नहीं किया जाता।
किन राज्यों में OPS लागू हो चुका है?
कुछ राज्यों ने पहले ही अपने कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना को वापस लागू कर दिया है। इनमें राजस्थान, छत्तीसगढ़, झारखंड और पंजाब शामिल हैं। इन राज्यों में OPS की वापसी के बाद बाकी राज्यों के कर्मचारी भी यही उम्मीद कर रहे हैं कि उनके लिए भी जल्द कोई अच्छी खबर आएगी।
अब आगे क्या?
अब सवाल यह है कि क्या केंद्र सरकार OPS को बहाल करेगी? अभी तक कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है, लेकिन जिस तरह से सरकार ने UPS का प्रस्ताव दिया है, उसे देखकर लगता है कि वह कर्मचारियों को कुछ राहत देने के मूड में जरूर है।
हालांकि, कर्मचारियों की मांग सिर्फ राहत की नहीं, बल्कि पूरी तरह से OPS को बहाल करने की है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार इस पर क्या बड़ा कदम उठाती है।
पुरानी पेंशन योजना को लेकर बहस तेज होती जा रही है। सरकारी कर्मचारी अपनी वित्तीय सुरक्षा के लिए OPS की वापसी चाहते हैं, जबकि सरकार UPS के जरिए इसे संतुलित करने की कोशिश कर रही है। लेकिन सवाल यही है कि क्या कर्मचारी UPS से संतुष्ट होंगे, या फिर वे OPS की वापसी के लिए अपनी लड़ाई जारी रखेंगे? आने वाले दिनों में इस मुद्दे पर कोई बड़ा फैसला लिया जा सकता है।