Google Pay Charge – अगर आप भी रोज़मर्रा के लेनदेन के लिए Google Pay का इस्तेमाल करते हैं, तो आपके लिए एक जरूरी खबर है। अब कुछ खास ट्रांजैक्शंस पर आपको एक्स्ट्रा चार्ज देना पड़ सकता है। कैशलेस इकोनॉमी को बढ़ावा देने वाले यूपीआई पेमेंट्स पर अब कंपनियां चार्ज वसूल सकती हैं। हालांकि, अभी तक सीधे पैसे भेजने पर कोई चार्ज नहीं लगाया गया है, लेकिन कुछ दूसरे पेमेंट्स पर फीस लागू की जा रही है।
किन ट्रांजैक्शंस पर लगेगा चार्ज
अब सवाल यह उठता है कि किन मामलों में आपको एक्स्ट्रा चार्ज देना होगा। खबरों के मुताबिक, यूपीआई एग्रीगेटर्स यानी कि गूगल पे, फोनपे और पेटीएम जैसे प्लेटफॉर्म्स अब कुछ लेनदेन पर 0.50 फीसदी से 1 फीसदी तक का चार्ज ले सकते हैं। फिलहाल, गूगल पे ने बिल पेमेंट्स पर चार्ज लगाना शुरू कर दिया है। यानी अगर आप बिजली, पानी, मोबाइल रिचार्ज या अन्य बिलों का भुगतान गूगल पे से कर रहे हैं, तो आपको थोड़ा ज्यादा पैसा देना पड़ सकता है। हालांकि, अभी तक पर्सनल ट्रांसफर यानी एक अकाउंट से दूसरे अकाउंट में पैसे भेजने पर कोई चार्ज नहीं है।
क्यों लग रहा है चार्ज
इस फैसले के पीछे सरकार की यूपीआई सब्सिडी में कटौती एक बड़ी वजह है। हाल ही में पेश किए गए बजट में सरकार ने यूपीआई के लिए दी जाने वाली सब्सिडी को 2000 करोड़ रुपये से घटाकर 437 करोड़ रुपये कर दिया है। यह सीधे तौर पर यूपीआई प्लेटफॉर्म्स पर असर डालता है, क्योंकि अब उन्हें अपने ऑपरेशन चलाने के लिए नए तरीकों से पैसा जुटाना होगा। ऐसे में, कंपनियां कुछ ट्रांजैक्शंस पर फीस लगाकर अपने खर्चों को पूरा करने की कोशिश कर रही हैं।
क्या आगे पैसे ट्रांसफर पर भी लगेगा चार्ज
अभी तक गूगल पे या अन्य यूपीआई प्लेटफॉर्म्स ने सीधे पैसे ट्रांसफर करने पर कोई शुल्क नहीं लगाया है, लेकिन भविष्य में ऐसा हो सकता है। अगर सरकार यूपीआई सब्सिडी को और कम करती है या पूरी तरह हटा देती है, तो संभव है कि पर्सनल ट्रांसफर पर भी चार्ज लगाया जाए। फिलहाल, जो चार्ज लगाया जा रहा है, वह मुख्य रूप से मर्चेंट ट्रांजैक्शंस और बिल पेमेंट्स पर है।
यूपीआई यूजर्स पर असर
इस बदलाव का असर उन सभी लोगों पर पड़ेगा, जो यूपीआई का इस्तेमाल रोजमर्रा के खर्चों के लिए करते हैं। खासकर छोटे दुकानदार, फ्रीलांसर्स और ऑनलाइन पेमेंट्स पर निर्भर रहने वाले लोग इस फैसले से प्रभावित हो सकते हैं। अगर हर ट्रांजैक्शन पर 0.50 से 1 फीसदी तक का चार्ज देना पड़ेगा, तो यह लोगों के बजट पर असर डालेगा।
उदाहरण के तौर पर, अगर कोई व्यक्ति हर महीने 10,000 रुपये के बिल गूगल पे से भरता है और 1 फीसदी चार्ज लागू होता है, तो उसे हर महीने 100 रुपये एक्स्ट्रा देना पड़ेगा। इसी तरह, अगर कोई व्यापारी रोज़ यूपीआई से लेनदेन करता है, तो उसे भी एक्स्ट्रा चार्ज देना होगा।
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डिजिटल पेमेंट्स पर पड़ेगा असर
यूपीआई की सबसे बड़ी खासियत यह थी कि यह एक फ्री और तेज़ ट्रांजैक्शन प्लेटफॉर्म था। लोग इसे इसलिए पसंद करते थे क्योंकि इससे बिना किसी अतिरिक्त शुल्क के पेमेंट किया जा सकता था। लेकिन अब अगर इस पर चार्ज लगने लगा, तो हो सकता है कि लोग कैश की ओर वापस लौटने लगें या अन्य भुगतान के तरीकों को अपनाएं।
हालांकि, सरकार डिजिटल इकोनॉमी को बढ़ावा देने के लिए यूपीआई को सपोर्ट करती रही है, लेकिन अगर शुल्क बढ़ता रहा, तो लोगों की इसमें रुचि कम हो सकती है।
क्या है विकल्प
अगर आप उन लोगों में शामिल हैं जो बिना किसी अतिरिक्त शुल्क के पेमेंट करना चाहते हैं, तो आपको कुछ स्मार्ट तरीके अपनाने होंगे।
- नकद भुगतान: छोटे लेनदेन के लिए आप कैश का इस्तेमाल कर सकते हैं, ताकि किसी भी तरह का चार्ज न देना पड़े।
- नेट बैंकिंग और डेबिट कार्ड का इस्तेमाल: कुछ मामलों में, नेट बैंकिंग या डेबिट कार्ड से पेमेंट करना सस्ता हो सकता है, खासकर अगर यूपीआई पर चार्ज लगाया जा रहा हो।
- अन्य यूपीआई ऐप्स आजमाएं: अभी तक सभी यूपीआई प्लेटफॉर्म्स ने चार्ज नहीं लगाया है, इसलिए आप दूसरे ऐप्स से ट्रांजैक्शन कर सकते हैं और देख सकते हैं कि कहां कोई शुल्क नहीं लिया जा रहा।
- ऑफर्स और कैशबैक का फायदा उठाएं: कई बार गूगल पे और अन्य ऐप्स डिस्काउंट या कैशबैक ऑफर करते हैं, जिससे आप एक्स्ट्रा चार्ज का असर कम कर सकते हैं।
क्या सरकार इस फैसले को बदलेगी
फिलहाल, सरकार ने इस मुद्दे पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है। लेकिन अगर लोगों की ओर से ज्यादा विरोध हुआ या डिजिटल पेमेंट्स में कमी आने लगी, तो सरकार दोबारा यूपीआई को सब्सिडी देने या शुल्क को कम करने पर विचार कर सकती है।
गूगल पे और अन्य यूपीआई प्लेटफॉर्म्स पर चार्ज लगने की खबर उन सभी लोगों के लिए मायने रखती है, जो रोजाना डिजिटल पेमेंट्स का इस्तेमाल करते हैं। बिल पेमेंट्स और कुछ अन्य लेनदेन पर 0.50 से 1 फीसदी तक का चार्ज लगाया जा सकता है, जिससे लोगों के खर्चे बढ़ सकते हैं।
हालांकि, अभी तक सीधे पैसे ट्रांसफर करने पर कोई चार्ज नहीं है, लेकिन भविष्य में ऐसा हो सकता है। ऐसे में, यह जरूरी है कि लोग अपने लेनदेन के तरीकों को समझदारी से चुनें और जहां तक संभव हो, बिना अतिरिक्त शुल्क के विकल्पों का इस्तेमाल करें।