DA Arrears – यहां कर्मचारियों के 18 महीने के बकाया महंगाई भत्ते को लेकर बड़ा अपडेट आया है। कोरोना काल के दौरान सरकार ने तीन किस्तें रोक दी थीं, जिससे कर्मचारियों को काफी नुकसान हुआ था। अब इस पर एक नया फॉर्मूला तैयार किया गया है, जिससे कर्मचारियों को फायदा हो सकता है। आइए जानते हैं पूरी जानकारी।
महंगाई भत्ते पर नया अपडेट
केंद्रीय कर्मचारियों के लिए 18 महीने के बकाया महंगाई भत्ते का मुद्दा काफी अहम है। इसको लेकर कर्मचारियों के संघों ने कई बार सरकार से बातचीत की, लेकिन कोई ठोस नतीजा नहीं निकला। अब कंफेडरेशन ऑफ सेंट्रल गवर्नमेंट एम्प्लॉईज एंड वर्कर्स ने एक सर्कुलर जारी किया है, जिसमें बकाया डीए की मांग को दोहराया गया है।
क्यों रोका गया था बकाया डीए
कोरोना महामारी के दौरान सरकार को कई कल्याणकारी योजनाओं के लिए फंड की जरूरत थी। इसी वजह से जनवरी 2020 से जून 2021 तक के तीन डीए की किस्तों को रोक दिया गया था। इससे सरकार को करोड़ों रुपये की बचत हुई, लेकिन कर्मचारियों को नुकसान उठाना पड़ा। अब कर्मचारी संघों की मांग है कि इस रकम को किस्तों में ही सही, लेकिन वापस दिया जाए।
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कर्मचारियों की प्रमुख मांगें
केंद्रीय कर्मचारी संघों की ओर से इस बार सिर्फ डीए एरियर ही नहीं, बल्कि कई और अहम मांगें भी रखी गई हैं:
- 8वें वेतन आयोग का गठन – कर्मचारियों की सैलरी बढ़ाने के लिए सरकार को जल्द से जल्द नया वेतन आयोग लाना चाहिए।
- पुरानी पेंशन योजना की बहाली – नई पेंशन योजना से कर्मचारी संतुष्ट नहीं हैं, इसलिए वे पुरानी पेंशन व्यवस्था को फिर से लागू करने की मांग कर रहे हैं।
- बकाया डीए एरियर का भुगतान – कर्मचारियों का कहना है कि उन्हें पूरा भुगतान नहीं तो कम से कम किस्तों में ही यह रकम दी जाए।
- पेंशन कटौती की अवधि घटाई जाए – मौजूदा नियमों के तहत पेंशन में की जाने वाली कटौती को कम करने की जरूरत है।
- निजीकरण पर रोक और खाली पदों पर भर्ती – सरकार कई विभागों का निजीकरण कर रही है, जिससे स्थायी नौकरियां कम हो रही हैं। कर्मचारी चाहते हैं कि सरकार इस पर रोक लगाए और खाली पदों पर जल्द भर्ती करे।
- कर्मचारी संघों को स्वतंत्र रूप से काम करने दिया जाए – सरकार की ओर से कर्मचारी संगठनों के कार्यों में दखल नहीं होना चाहिए।
आंदोलन का बढ़ता दबाव
कर्मचारी संघों ने सरकार पर दबाव बढ़ाने के लिए विरोध प्रदर्शन तेज करने का फैसला लिया है। 7 मार्च को जारी एक सर्कुलर में बताया गया कि 10 और 11 मार्च को देशभर में गेट मीटिंग और जनरल बॉडी मीटिंग आयोजित की गईं, ताकि आंदोलन को और मजबूत किया जा सके।
कर्मचारी संगठन यह भी कह रहे हैं कि अगर सरकार एक बार में भुगतान नहीं कर सकती तो कम से कम इसे किस्तों में जारी कर दे। यह नया फॉर्मूला सरकार के सामने रखा गया है ताकि कर्मचारियों को कुछ राहत मिल सके।
सरकार का क्या कहना है
सरकार की ओर से इस मुद्दे पर अभी तक कोई सकारात्मक संकेत नहीं मिले हैं। सरकारी सूत्रों का कहना है कि कोविड महामारी के चलते आर्थिक संकट का सामना करना पड़ा था, जिससे उबरने में काफी समय लगा। सरकार का रुख साफ है कि बकाया डीए एरियर का भुगतान फिलहाल संभव नहीं है।
हालांकि, कर्मचारी संगठनों का मानना है कि सरकार के पास पर्याप्त संसाधन हैं और अगर सही तरीके से मैनेज किया जाए तो कर्मचारियों को उनका बकाया मिल सकता है।
क्या आगे समाधान निकलेगा
अब सवाल यह है कि क्या सरकार और कर्मचारियों के बीच कोई समझौता होगा? कर्मचारियों की ओर से लगातार प्रदर्शन और दबाव डाला जा रहा है। अगर सरकार अपनी आर्थिक स्थिति का हवाला देकर सीधे भुगतान से इनकार करती है, तो किस्तों में भुगतान करने का फॉर्मूला अपनाया जा सकता है।
अगर सरकार इस पर कोई ठोस फैसला नहीं लेती तो कर्मचारियों का आंदोलन और तेज हो सकता है। आने वाले दिनों में देखना होगा कि सरकार और कर्मचारी संघों के बीच क्या सहमति बनती है।
कुल मिलाकर, 18 महीने के बकाया डीए एरियर का मुद्दा केंद्रीय कर्मचारियों के लिए काफी अहम है। सरकार के इनकार के बावजूद कर्मचारी संघ लगातार दबाव बना रहे हैं। अब यह देखना होगा कि सरकार कर्मचारियों की मांगों पर क्या कदम उठाती है।
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