Cheque Bounce Case – चेक से पेमेंट करना आज भी एक भरोसेमंद और आसान तरीका माना जाता है, लेकिन अगर चेक जारी करने में जरा सी भी गलती हो जाए, तो बड़ी मुसीबत आ सकती है। कई बार चेक बाउंस होने की वजह से कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ता है, जिसमें कोर्ट के चक्कर और जुर्माना दोनों शामिल होते हैं। हालांकि, अब सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में एक बड़ा फैसला सुनाया है, जिससे लोगों को राहत मिलेगी।
चेक बाउंस मामलों में कोर्ट के चक्कर से छुटकारा
सुप्रीम कोर्ट ने अपने हालिया फैसले में कहा कि अगर चेक बाउंस के मामले में दोनों पक्ष आपसी सहमति से समझौता कर लेते हैं, तो कोर्ट को भी इसे जल्द से जल्द निपटा देना चाहिए। कोर्ट के मुताबिक, ऐसे मामलों को लंबे समय तक खींचने से किसी को फायदा नहीं होता। इससे न सिर्फ कोर्ट का वक्त बर्बाद होता है, बल्कि आम जनता को भी बेवजह परेशानी उठानी पड़ती है।
अब अगर किसी व्यक्ति का चेक बाउंस हो गया और उसने सामने वाले को पूरा पैसा चुका दिया है, तो उसे कोर्ट के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे। इस फैसले से निचली अदालतों पर दबाव कम होगा और लोगों को जल्दी इंसाफ मिलेगा।
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सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि देशभर में चेक बाउंस से जुड़े हजारों मामले लंबित हैं, जिनमें से कई केस बिना वजह सालों तक चलते रहते हैं। इससे कोर्ट पर अनावश्यक दबाव बनता है और न्याय प्रक्रिया धीमी हो जाती है।
कोर्ट ने सुझाव दिया कि अगर दोनों पक्ष सहमत हैं और समझौते के लिए तैयार हैं, तो ऐसे मामलों को जल्द से जल्द खत्म कर देना चाहिए। इससे कोर्ट का वक्त बचेगा और जनता को भी राहत मिलेगी।
समझौते के आधार पर होगा फैसला
अब अगर चेक बाउंस का मामला कोर्ट तक पहुंचता है और आरोपी पक्ष सामने वाले को पूरा पैसा लौटा देता है, तो कोर्ट उस पर कड़ी सजा देने की बजाय मामले को समझौते के आधार पर खत्म कर सकती है।
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने हाल ही में एक मामले में ऐसा ही किया। इस केस में एक व्यक्ति पर चेक बाउंस होने के कारण कानूनी कार्रवाई हुई थी, लेकिन उसने शिकायतकर्ता को 5 लाख रुपये से ज्यादा की रकम चुका दी। इस पर कोर्ट ने उसकी सजा को रद्द कर दिया और कहा कि जब दोनों पक्ष सहमत हैं, तो ऐसे मामलों को जल्द खत्म किया जाना चाहिए।
पुराने मामलों के लिए भी राहत
सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया है कि यह फैसला न सिर्फ नए बल्कि पुराने मामलों पर भी लागू होगा। यानी जो केस पहले से पेंडिंग हैं और जहां समझौते की गुंजाइश है, वहां भी यह नियम लागू किया जाएगा।
अगर किसी पर चेक बाउंस का केस चल रहा है और वह शिकायतकर्ता को पूरा भुगतान कर चुका है, तो उसे अब सजा का डर नहीं रहेगा।
क्या है चेक बाउंस कानून?
भारतीय कानून के मुताबिक, अगर किसी का चेक बाउंस होता है, तो यह एक दंडनीय अपराध माना जाता है। नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट, 1881 की धारा 138 के तहत आरोपी को सजा और जुर्माना दोनों का सामना करना पड़ सकता है।
लेकिन सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद अब पहली प्राथमिकता समझौते को दी जाएगी। अगर शिकायतकर्ता को उसका पैसा मिल जाता है और वह केस वापस लेने के लिए तैयार है, तो आरोपी को सजा नहीं दी जाएगी।
क्या इस फैसले से लोगों को फायदा होगा?
बिल्कुल! इस फैसले से न सिर्फ उन लोगों को राहत मिलेगी जो अनजाने में चेक बाउंस मामलों में फंस जाते हैं, बल्कि कोर्ट का वक्त भी बचेगा।
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अब अगर कोई चेक बाउंस होता है, तो सबसे पहले दोनों पक्षों को आपसी सहमति से मामला सुलझाने का मौका मिलेगा। इससे छोटे-मोटे विवाद जल्दी सुलझ जाएंगे और लोगों को कोर्ट-कचहरी के चक्कर काटने से छुटकारा मिलेगा।
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला आम लोगों के लिए एक बड़ी राहत है। अब चेक बाउंस के मामले में अगर दोनों पक्ष समझौते पर राजी हो जाते हैं, तो कोर्ट अनावश्यक सजा देने की बजाय मामले को जल्द निपटा देगा। इससे न्याय प्रक्रिया तेज होगी, कोर्ट का वक्त बचेगा और लोगों को भी बेवजह की कानूनी परेशानियों से मुक्ति मिलेगी।
अगर आपके साथ भी ऐसा कोई मामला है, तो घबराने की जरूरत नहीं है। सबसे पहले शिकायतकर्ता से बात करें और अगर संभव हो तो समझौते का रास्ता अपनाएं। इससे न सिर्फ आपका केस जल्दी खत्म होगा, बल्कि आपको कोर्ट के झंझटों से भी बचने का मौका मिलेगा।